Saturday 3 September 2016

RBI की 'ना' कहने की क्षमता की रक्षा करना जरूरी: रघुराम राजन





नई दिल्ली-आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यकाल खत्म होने के 2 दिन पहले अपने अंतिम भाषण में निवर्तमान आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि सरकार के सर्वोच्च नेताओं को 'ना' कहने की आरबीआई की क्षमता को बचाकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि देश को एक मजबूत और स्वतंत्र केन्द्रीय बैंक की आवश्यकता है और इसके लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है।

सेंट स्टीफन कॉलेज में 'इंडिपेंडेंस ऑफ द सेंट्रल बैंक' विषय पर भाषण देते हुए राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक को सरकार द्वारा तय एक ढांचे के तहत काम करना है और वह सभी बाध्यताओं से मुक्त नहीं हो सकता। सरकार के साथ नीतिगत मतभेद पर अपने पूर्ववर्ती डी सुब्बाराव के बयान को दोहराते हुए राजन ने कहा, 'हमें थोड़ा सा और आगे जाना होगा और रिजर्व बैंक सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है इसलिए रिजर्व बैंक के पास ना कहने का अधिकार है और आगे भी रिजर्व बैंक के इस अधिकार को संरक्षण मिलना चाहिए।' राजन ने कहा कि भारत को वृहद आर्थिक स्थायित्व के लिये मजबूत और स्वतंत्र रिजर्व बैंक की आवश्यकता है, जो कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

राजन ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा अपने लाभ में से सरकार को विशेष लाभांश देने से बजट की समस्या दूर करने में मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि जी-20 सम्मेलनों में वित्तमंत्रियों के साथ रिजर्व बैंक के गवर्नर भी बैठते हैं। राजन ने कहा, 'उनके वहां बैठने का एक कारण होता है। वे रिजर्व बैंक के गवर्नर होते हैं ना कि अन्य नियामकों या सरकार के सचिवों की तरह, जो सरकार के इशारे पर काम करते हों।' उन्होंने कहा कि आरबीआई गवर्नर को इतनी स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से भी असहमति दर्ज करा सके। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के पास परिचालन संबंधी निर्णय लेने का भी अधिकार होना चाहिए।

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