Tuesday 30 January 2018

जब राहुल ने थामा आडवाणी का हाथ, संसद में और भी दिखे दिल छूने वाले नजारे

नई दिल्‍ली, वैसे तो राजनीतिक मैदान में पक्ष और विपक्ष हमेशा आमने-सामने तन कर खड़े नजर आते हैं। मगर बजट सत्र के पहले दिन सियासी शिष्‍टाचार का बेमिसाल नजारा देखने को मिला। सियासी कटुता को भुलाकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं ने राष्‍ट्रपति के अभिभाषण से पहले और बाद में हंसते-मुस्कुराते गर्मजोशी से हाथ मिलाते या एक दूसरे का अभिवादन करने में राजनीतिक प्रतिद्वंदिता को आड़े नहीं आने दिया।
भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ पहली पंक्ति में बैठे और उनसे निरंतर संवाद करते दिखे। संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने भी सोनिया के पास जाकर उनसे कुछ मिनटों तक चर्चा की। आडवाणी, सोनिया के साथ दो पूर्व प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौड़ा को पहली पंक्ति में बिठाया गया था।
राहुल गांधी भी पहली पंक्ति में बैठे नजर आए, जिन पर सभी की निगाहें जमी थीं। राहुल को पहली पंक्ति में जगह देने को लेकर खास दिलचस्पी इसलिए रही, क्योंकि गणतंत्र दिवस परेड समारोह में उन्हें छठी पंक्ति में जगह दी गई थी। कांग्रेस ने इस पर काफी एतराज जताया था और इसे अपने नेता को अपमानित किया जाना कहा था। वहीं सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।हालांकि हमेशा सरकार पर निशाना साधने की मुद्रा में नजर आने वाले राहुल गांधी ने भी अपने व्‍यवहार से सभी का दिल जीत लिया। राष्‍ट्रपति का अभिभाषण खत्म होने के बाद बाहर जाने के लिए जैसे ही आडवाणी खड़े हुए, राहुल गांधी ने आगे बढ़कर उनका हाथ थाम लिया और बाहर निकलने में मदद की। इसी दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और सोनिया गांधी के बीच भी गर्मजोशी के साथ अभिवादन हुआ।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पहली बार संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने के बाद पहली पंक्ति में बैठे नेताओं और मंत्रियों के पास जाकर उनसे हाथ मिलाया। राष्ट्रपति का अभिभाषण खत्म होने के बाद सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष के नेताओं ने भी मेज थपथपा कर उनका अभिवादन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली के साथ पहली पंक्ति में राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद खुशगवार चर्चा करते दिखे। कुल मिलाकर संसद में भारत के मजबूत लोकतंत्र का कभी ना भुला देने वाला नजारा देखने को मिला, हालांकि मुद्दों पर सहमति-असहमति का होना तो राजनीति का हिस्‍सा है।
पहले भी दिख चुकी है राहुल और आडवाणी के बीच नजदीकी
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी और आडवाणी के बीच इस तरह की नजदीकी देखने को मिली है। बीते दिसंबर में संसद सत्र के दौरान भी कांग्रेस उपाध्‍यक्ष आडवाणी का हाथ पकड़ कर उनकी मदद की थी। मौका था कि संसद हमले में शहीद हुए बहादुरों को श्रद्धांजलि देना था। इस क्रम में सबसे पहले उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के बाद लोकसभा स्पीकर समित्रा महाजन आगे बढ़ीं। उनके बाद पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व प्राधनमंत्री मनमोहन सिंह आगे बढ़े। इस मौके पर भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी के बीच आडवाणी जब पहुंचे तो उनके खड़े होने की जगह ही नहीं थी। ऐसे में वह किनारे जाकर खड़े हो गए। यह देखते ही सोनिया गांधी के पीछे खड़े राहुल गांधी एकदम से बाहर आए और आडवाणी को पकड़कर ले जाने लगे और उन्हें उचित स्थान दिलवाया।

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