नई दिल्ली,21- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को मध्यप्रदेश में यह कहकर सबको चौंका दिया कि 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने का पार्टी में कोई नियम या कोई परंपरा नहीं है। न ही ऐसी कोई परंपरा है। बीजेपी हाईकमान के रुख में इस लचीलेपन से पार्टी के 75+ के करीब 25 नेताओं में एक बार फिर सक्रिय राजनीति में लौटने की उम्मीद जग गई है। यह नेता खासकर, उन्हीं 15 राज्यों से हैं, जहां 2019 के आम चुनाव तक विधानसभा चुनाव होने हैं। 75 पार के नेताओं को मोदी ने कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी...
- दरअसल, 2014 में नरेंद्र मोदी ने 75 पार के नेताओं को कैबिनेट में नहीं रखा था। वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तक को मार्गदर्शक मंडल तक सीमित कर दिया था।
- उसी दौरान पार्टी में स्पष्ट कर दिया गया था कि चुनाव लड़ने की अधिकतम आयु सीमा 75 साल है। बीजेपी शासित राज्यों में भी यही फॉर्मूला अपनाया गया।
- गुजरात में मुख्यमंत्री रहीं आनंदीबेन पटेल को 75 की उम्र पार होते ही कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने यह आयु सीमा पूरी होने से महीने पहले ही पद छोड़ दिया था।
- फेसबुक पोस्ट में उम्र ही उन्होंने इस्तीफे की वजह बताई थी।
- दरअसल, बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 360 से ज्यादा सीटें जीतने का टारगेट रखा है। इसकी रणनीति बनाते वक्त टॉप लीडरशिप समझ चुकी है कि मनचाहे नतीजे पाने के लिए बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं को तरजीह देनी ही पड़ेगी। इसलिए शाह ने बेहद चतुराई से अघोषित सिद्धांत में लचीलेपन का संकेत दिया है।
- गुजरात में मुख्यमंत्री रहीं आनंदीबेन पटेल को 75 की उम्र पार होते ही कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने यह आयु सीमा पूरी होने से महीने पहले ही पद छोड़ दिया था।
- फेसबुक पोस्ट में उम्र ही उन्होंने इस्तीफे की वजह बताई थी।
- दरअसल, बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 360 से ज्यादा सीटें जीतने का टारगेट रखा है। इसकी रणनीति बनाते वक्त टॉप लीडरशिप समझ चुकी है कि मनचाहे नतीजे पाने के लिए बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं को तरजीह देनी ही पड़ेगी। इसलिए शाह ने बेहद चतुराई से अघोषित सिद्धांत में लचीलेपन का संकेत दिया है।
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